ग्लूटेन
1. ग्लूटेन क्या है? किस भोजन में मिलता है?
ग्लूटेन एक प्रकार का प्रोटीन है जो विशेषतः गेहूं, जौ (Barley) और राई (Rye) जैसे अनाजों में पाया जाता है। यह आटे को गूंथने पर उसे लचीलापन (elasticity) और पकाने पर एक खास बनावट देता है।
कहां मिलता है? – रोटी, ब्रेड, पिज्जा, पास्ता, बिस्कुट, केक आदि में प्रायः ग्लूटेन मौजूद होता है।
2. ग्लूटेन एलर्जी
ग्लूटेन एलर्जी को ग्लूटेन सेंसिटिविटी या नॉन-सीलिएक ग्लूटेन इन्टॉलरेंस भी कहा जाता है। इसमें व्यक्ति को ग्लूटेन युक्त भोजन खाने पर गैस, पेट दर्द, उल्टी, थकावट या त्वचा पर रैशेस जैसे लक्षण हो सकते हैं। यह एलर्जी बच्चों और बड़ों दोनों में हो सकती है।
3. सीलिएक डिजीज (Caeliac Disease)
यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम ग्लूटेन को शत्रु समझकर छोटी आंत की कोशिकाओं पर हमला कर देता है।
इसके लक्षण:
- डायरिया
- वजन घटना
- भूख न लगना
- बच्चों में विकास रुक जाना (2-3 साल के बच्चों में खासकर)
समय रहते इसका इलाज और ग्लूटेन-फ्री डाइट जरूरी होती है।
4. क्या लम्बे समय तक ग्लूटेन खाने से कैंसर या हृदय रोग का खतरा
अगर किसी व्यक्ति को ग्लूटेन सेंसिटिविटी या सीलिएक डिजीज है और फिर भी वह लगातार ग्लूटेन खाता है, तो उसकी आंतों को नुकसान, सूजन, पोषण की कमी और भविष्य में आंत का कैंसर, थकावट या हृदय रोग जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
परंतु सामान्य व्यक्ति के लिए ग्लूटेन हानिकारक नहीं है।
5. ग्लूटेन फ्री गेहूं
नहीं, पारंपरिक गेहूं में ग्लूटेन होता है।
लेकिन, बाजरा, मक्का, रागी, ज्वार, अमरंथ (राजगिरा), क्विनोआ जैसे अनाज ग्लूटेन-फ्री होते हैं। आजकल कुछ ग्लूटेन-मुक्त आटा भी बाजार में मिलते हैं, जो विशेष रूप से सीलिएक या ग्लूटेन एलर्जिक लोगों के लिए बनाए जाते हैं।
6. मैदा का शरीर पर प्रभाव
मैदा अत्यधिक प्रोसेस किया गया गेहूं होता है, जिसमें फाइबर और पोषण तत्व काफी हद तक खत्म हो जाते हैं।
नुकसान:
- ब्लड शुगर अचानक बढ़ा सकता है
- मोटापा बढ़ा सकता है
- कब्ज की समस्या
- त्वचा पर असर
- इंसुलिन रेसिस्टेंस
7. हर शरीर में चना और गेहूं सूट नहीं करता — कैसे चेक करें?
हर व्यक्ति की पाचन क्षमता और एलर्जी अलग होती है।
जांच के तरीके:
- एलिमिनेशन डाइट: 2 सप्ताह के लिए चना या गेहूं बंद करें और लक्षण देखें
- फूड एलर्जी टेस्ट (IgE, IgG Panel)
- Gut Microbiome Test
- यदि चना खाने से पेट फूलना, खुजली, मुँहासे या थकावट हो — तो वह संकेत हो सकता है।
8. जीते जी मुर्दा इंसान
इसका आशय है: ऐसा व्यक्ति जो जीवित तो है, परंतु अंदर से पूरी तरह हताश, निराश, उद्देश्यहीन और जज्बातों से रहित हो गया है।
वह न कुछ नया करना चाहता है, न कुछ सीखना, न जीने की चाह — केवल समय काट रहा है।
यह मानसिक, भावनात्मक या आत्मिक रूप से टूटने का प्रतीक है।
9. हर शरीर को अलग-अलग न्यूट्रिशन चाहिए
हर व्यक्ति की उम्र, लिंग, कार्य, बीमारियाँ, और शरीर रचना के अनुसार पोषण ज़रूरी है।
डिजाइन करने के चरण:
- BMI और BMR की गणना
- शारीरिक लक्ष्य (वजन कम/बढ़ाना)
- एलर्जी और पसंद की चीज़ें
- खून की रिपोर्ट (CBC, Hb, Vitamin D, B12, आदि)
- दिनचर्या के अनुसार कैलोरी और मैक्रोन्यूट्रिएंट वितरण
इस आधार पर किसी न्यूट्रिशनिस्ट या वैलनेस कोच से व्यक्तिगत डाइट प्लान लिया जा सकता है।
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