भारत में नींद की वजह से होने वाले सड़क हादसों (Accidents due to drowsy or fatigued driving) का एक महत्वपूर्ण प्रतिशत होता है, जो अक्सर रिपोर्ट में छिपा रह जाता है या "अन्य कारणों" के तहत शामिल कर दिया जाता है। लेकिन कुछ प्रमाणिक स्रोतों और अध्ययनों से इसका अनुमान लगाया गया है।


भारत में नींद से होने वाले एक्सिडेंट का प्रतिशत:

  • भारतीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) की रिपोर्ट के अनुसार, 10–12% सड़क दुर्घटनाएं नींद, थकावट या ध्यान भटकने के कारण होती हैं।
  • एक अन्य अध्ययन (IIT दिल्ली, और अन्य ट्रैफिक रिसर्च एजेंसियों द्वारा) बताता है कि लंबी दूरी के ड्राइवरों में लगभग 20–25% एक्सिडेंट्स में ड्राइवर की नींद या थकावट एक बड़ी भूमिका निभाती है।

ध्यान दें: नींद से होने वाले हादसे का असली प्रतिशत इससे भी ज्यादा हो सकता है क्योंकि थकावट या झपकी को कई बार आधिकारिक रिपोर्ट में सही से दर्ज नहीं किया जाता।


🔍 नींद से एक्सिडेंट क्यों होते हैं? कारण:

  1. थकान और माइक्रो-स्लीप (Micro-sleep):

    • नींद की कमी से ड्राइवर अनजाने में कुछ सेकंड के लिए सो जाता है। इसी को माइक्रो-स्लीप कहते हैं, जो हाई-स्पीड पर बहुत खतरनाक साबित होता है।
  2. रिफ्लेक्स और रिएक्शन टाइम धीमा हो जाता है:

    • जब व्यक्ति नींद में या थका होता है तो ब्रेक लगाने, मोड़ने या खतरे को पहचानने की गति धीमी हो जाती है।
  3. फोकस और ध्यान कम हो जाता है:

    • ड्राइवर का ध्यान बार-बार भटकता है, जिससे वह रोड सिग्नल्स, पैदल यात्री, और सामने के वाहनों को नज़रअंदाज़ कर सकता है।
  4. नाइट ड्राइविंग और शिफ्ट वर्क:

    • ट्रक ड्राइवर, कैब चालक, एम्बुलेंस/बस ड्राइवर आदि को अक्सर रात में काम करना पड़ता है, जिससे उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती।
  5. नींद संबंधित बीमारियाँ:

    • जैसे Obstructive Sleep Apnea, जिसमें रात की नींद में बार-बार रुकावट आती है और दिन में नींद आती रहती है।

🔴 कौन से लोग ज़्यादा जोखिम में रहते हैं:

  • ट्रक/लॉरी/टैक्सी ड्राइवर
  • लंबी दूरी के बस ड्राइवर
  • नाइट शिफ्ट वर्कर
  • युवा ड्राइवर जो देर रात गाड़ी चलाते हैं
  • 20–40 साल के पुरुष ड्राइवर (आंकड़ों में सबसे ज़्यादा दुर्घटनाएं इसी समूह में)

रोकथाम कैसे करें? सुझाव:

सुझाव विवरण
हर 2 घंटे में 15 मिनट का ब्रेक लंबी ड्राइव के दौरान ज़रूरी है।

कैफीन और हाइड्रेशन अलर्ट रहने में मदद करता है, लेकिन केवल अस्थायी समाधान है।

अच्छी नींद लें ड्राइव से पहले कम से कम 7–8 घंटे की नींद लें।

को-पैसेंजर से बात करना जागने में मदद करता है।


नींद आए तो ड्राइव न करें यह जान बचा सकता है।


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