नापसंद किए जाने का साहस ।
📘 The Courage to Be Disliked
(नापसंद किए जाने का साहस)
✍️ लेखक: Ichiro Kishimi & Fumitake Koga
📚 दर्शन: Adlerian Psychology (एडलर का मनोविज्ञान)
🔑 इस किताब का मूल संदेश
खुश रहने के लिए यह ज़रूरी नहीं कि हर कोई आपको पसंद करे।
असल खुशी तब आती है जब आप दूसरों की राय के डर से मुक्त हो जाते हैं।
🧠 किताब के मुख्य सिद्धांत (संक्षेप में)
1️⃣ अतीत नहीं, वर्तमान जिम्मेदार है
- हम अपनी परेशानियों के लिए अतीत को दोष देते हैं
- लेकिन एडलर कहता है:
👉 हम अपने वर्तमान चुनावों से दुखी या खुश होते हैं
📌 सीख:
“मैं ऐसा हूँ क्योंकि मेरे साथ ऐसा हुआ” – यह सिर्फ बहाना है।
2️⃣ हर समस्या रिश्तों से जुड़ी होती है
- तुलना, ईर्ष्या, अपमान
- ये सब दूसरों से जुड़ने के कारण होते हैं
📌 सीख:
खुद की तुलना दूसरों से करना छोड़ो।
3️⃣ Approval (मंज़ूरी) की बीमारी
- हम चाहते हैं कि:
- लोग तारीफ करें
- हमें पसंद करें
👉 यही सोच हमें गुलाम बना देती है।
📌 सीख:
दूसरों को खुश करने की जिम्मेदारी आपकी नहीं है।
4️⃣ “नापसंद किए जाने का साहस” क्या है?
- अपनी बात पर खड़ा रहना
- बिना डर सही काम करना
- यह स्वीकार करना कि
कुछ लोग आपको पसंद नहीं करेंगे
📌 यह अहंकार नहीं, आत्मसम्मान है।
5️⃣ Task Separation (काम अलग करो)
- आपका काम:
- सही प्रयास करना
- दूसरों का काम:
- पसंद करना या न करना
📌 सीख:
दूसरों की प्रतिक्रिया आपकी जिम्मेदारी नहीं।
6️⃣ Contribution = Happiness
- सच्ची खुशी:
- उपयोगी होने की भावना से आती है
- समाज में योगदान से आती है
📌 सीख:
खुशी पाने के लिए “महान” नहीं, “उपयोगी” बनो।
🌱 रोज़मर्रा के उदाहरण
🏢 ऑफिस
❌ “सब क्या सोचेंगे?”
✅ “यह सही है या नहीं?”
🏠 परिवार
❌ सबको खुश रखने की कोशिश
✅ सम्मान के साथ अपनी सीमा तय करना
🤝 समाज
❌ तुलना और प्रतिस्पर्धा
✅ आत्म-विकास और योगदान
🧠 किताब का सार (One Line)
जो इंसान नापसंद किए जाने का साहस रखता है,
वही सच में आज़ाद और खुश होता है।
📌 किसके लिए यह किताब सबसे उपयोगी है?
✔️ जो Overthinking करते हैं
✔️ जो लोगों की राय से डरते हैं
✔️ जो आत्मविश्वास और शांति चाहते हैं
✔️ जो Life में clarity चाहते हैं
📘 Law 1: अतीत नहीं, वर्तमान हमारे जीवन को तय करता है
(Trauma Does Not Decide Your Life)
🔍 इस सिद्धांत का मूल विचार
हम अक्सर कहते हैं:
- “मेरे साथ बचपन में यह हुआ इसलिए मैं ऐसा हूँ”
- “मेरे हालात ऐसे हैं इसलिए मैं खुश नहीं रह सकता”
👉 Adlerian Psychology कहती है:
अतीत कारण नहीं, सिर्फ एक कहानी है।
हम अपने वर्तमान उद्देश्य के अनुसार व्यवहार चुनते हैं।
🧠 किताब क्या कहना चाहती है?
❌ सामान्य सोच (Freudian सोच)
इंसान अपने अतीत का गुलाम है
Trauma = जीवन की दिशा
✅ Adler की सोच
इंसान अपने लक्ष्य के अनुसार व्यवहार चुनता है
Trauma = बहाना, मजबूरी नहीं
📌 मतलब:
हम दुखी इसलिए नहीं हैं कि अतीत खराब था,
बल्कि इसलिए हैं क्योंकि हम आज दुखी रहना चुन रहे हैं
(अक्सर अनजाने में)
🧩 उदाहरण से समझिए
उदाहरण 1:
👨👦 बचपन में डांट खाने वाला व्यक्ति
❌ आम सोच:
“मुझे बचपन में दबाया गया, इसलिए मुझमें आत्मविश्वास नहीं है”
✅ Adler की सोच:
“मैं आज जोखिम नहीं लेना चाहता,
इसलिए मैं अपने अतीत का सहारा ले रहा हूँ”
उदाहरण 2:
👩 रिश्ता खराब होने के बाद अकेलापन
❌ “मेरे साथ धोखा हुआ, इसलिए मैं किसी पर भरोसा नहीं कर सकता”
✅ “मैं फिर से चोट नहीं खाना चाहता,
इसलिए दूरी बनाए रखना मेरे लिए सुरक्षित है”
👉 यहाँ दुख कारण नहीं, सुरक्षा का तरीका बन गया।
⚠️ इस सिद्धांत की कड़वी सच्चाई
- दुख कभी-कभी सुरक्षा देता है
- शिकायत हमें जिम्मेदारी से बचाती है
- अतीत को दोष देना आसान होता है
📌 लेकिन इससे:
- बदलाव रुक जाता है
- आज़ादी खत्म हो जाती है
✅ समाधान: इस Law को जीवन में कैसे अपनाएँ?
✔️ 1. “क्यों हुआ” छोड़कर “क्यों कर रहा हूँ” पूछिए
❌ “मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ?”
✅ “मैं अभी ऐसा क्यों कर रहा हूँ?”
✔️ 2. अपने दुख का उद्देश्य पहचानिए
खुद से पूछें:
- यह दुख मुझे किससे बचा रहा है?
- यह मुझे क्या करने से रोक रहा है?
✔️ 3. जिम्मेदारी लेना सीखें
- अतीत बदला नहीं जा सकता
- लेकिन आज का चुनाव आपके हाथ में है
✔️ 4. खुद को victim से actor बनाइए
❌ “मेरे साथ ऐसा हो गया”
✅ “अब मैं क्या करूँगा?”
🌱 रोज़मर्रा के उदाहरण
🏢 ऑफिस
❌ “मेरे बॉस पहले भी ऐसे थे, कुछ नहीं बदल सकता”
✅ “मैं आज अपना response बदल सकता हूँ”
🏠 परिवार
❌ “मेरे घर में ऐसा ही होता आया है”
✅ “मैं अलग तरीका चुन सकता हूँ”
🧠 Law 1 का सार (One Line)
आप अपने अतीत से बंधे नहीं हैं,
आप अपने आज के चुनावों से बनते हैं।
🔔 यह Law क्यों ज़रूरी है?
क्योंकि यही Law:
- आपको आज़ादी देता है
- शिकायत से बाहर निकालता है
- बदलाव की ताकत देता है
📘 Law 2: सभी समस्याएँ interpersonal (रिश्तों) से जुड़ी होती हैं
(All Problems Are Interpersonal Relationship Problems)
🔍 इस सिद्धांत का मूल विचार
हम जिन बातों से दुखी होते हैं—
- अपमान
- तुलना
- ईर्ष्या
- अकेलापन
- गुस्सा
👉 ये सब दूसरों से तुलना या उनके साथ संबंध के कारण पैदा होते हैं।
📌 अगर “दूसरे लोग” न हों,
तो ज्यादातर दुख अपने आप खत्म हो जाएँ।
🧠 किताब क्या कहना चाहती है?
❌ आम सोच
- “मुझे इसलिए दुख है क्योंकि मैं सफल नहीं हूँ”
- “मुझे इसलिए गुस्सा आता है क्योंकि लोग गलत हैं”
✅ Adler की सोच
- “मुझे दुख इसलिए है क्योंकि मैं खुद की तुलना दूसरों से कर रहा हूँ”
- “मुझे गुस्सा इसलिए है क्योंकि मैं दूसरों से ऊपर दिखना चाहता हूँ”
📌 मतलब:
दुख का कारण हालात नहीं, तुलना है।
🧩 उदाहरण से समझिए
उदाहरण 1:
👨💼 ऑफिस में सहकर्मी प्रमोट हो गया
❌ आम प्रतिक्रिया:
“मैं बेकार हूँ, किस्मत खराब है”
✅ असली वजह:
“मैं खुद को उससे नीचे मान रहा हूँ”
👉 दुख प्रमोशन से नहीं,
तुलना से आया।
उदाहरण 2:
👩 किसी ने आपकी बात नहीं मानी
❌ “लोग मेरी इज्जत नहीं करते”
✅ “मैं चाहता हूँ कि लोग मुझे ऊपर रखें”
👉 यहाँ समस्या अहंकार और श्रेष्ठता की चाह है।
⚠️ Inferiority & Superiority Complex
🔹 Inferiority Complex
- खुद को हमेशा छोटा समझना
- दूसरों से डरना
🔹 Superiority Complex
- खुद को दूसरों से ऊपर दिखाना
- घमंड, कंट्रोल
📌 दोनों का कारण एक ही है:
तुलना (Comparison)
✅ समाधान: Law 2 को जीवन में कैसे अपनाएँ?
✔️ 1. तुलना छोड़ें
- जीवन दौड़ नहीं है
- हर व्यक्ति की यात्रा अलग है
✔️ 2. Vertical से Horizontal संबंध बनाएँ
❌ ऊपर–नीचे (मैं छोटा / बड़ा)
✅ बराबरी (हम इंसान हैं)
📌 न बॉस भगवान है,
न आप किसी से कम।
✔️ 3. “मैं समाज में उपयोगी हूँ” सोच विकसित करें
- श्रेष्ठ बनने की जगह
- उपयोगी बनने पर ध्यान दें
✔️ 4. Recognition नहीं, Contribution खोजें
❌ “मुझे मान मिले”
✅ “मैं क्या दे सकता हूँ?”
🌱 रोज़मर्रा के उदाहरण
🏢 ऑफिस
❌ “वह मुझसे आगे क्यों?”
✅ “मैं अपना काम बेहतर कैसे करूँ?”
🏠 परिवार
❌ “मुझे कोई नहीं समझता”
✅ “मैं कैसे बेहतर समझ सकता हूँ?”
🧠 Law 2 का सार (One Line)
जहाँ तुलना खत्म होती है,
वहीं से शांति शुरू होती है।
🔔 यह Law क्यों ज़रूरी है?
क्योंकि यह:
- ईर्ष्या खत्म करता है
- अहंकार कम करता है
- रिश्तों में सुकून लाता है
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