अपने अवचेतन (Irrational Self) को समझना
अपने अवचेतन को समझिए
(Master Your Emotional Self)
🔍 इस नियम का मूल विचार
हम यह मानते हैं कि हम तर्क (logic) से निर्णय लेते हैं,
लेकिन हकीकत में 80–90% निर्णय भावनाओं से होते हैं।
गुस्सा, डर, अहंकार, ईर्ष्या, लालच —
ये सब हमारे अवचेतन मन से आते हैं और हमें पता भी नहीं चलता।
🧠 इंसान क्यों गलत निर्णय लेता है?
1️⃣ भावनाएँ दिमाग को कंट्रोल करती हैं
- गुस्से में कही बात रिश्ते तोड़ देती है
- डर के कारण अच्छे अवसर छोड़ देते हैं
- अहंकार की वजह से सलाह नहीं लेते
📌 समस्या:
हम सोचते हैं “मैं सही हूँ”, जबकि असल में भावना बोल रही होती है।
2️⃣ हम अपनी गलतियों को सही ठहराते हैं
- इंसान अपनी गलती मानने से बचता है
- दिमाग तुरंत बहाना ढूंढ लेता है
उदाहरण:
“मैंने गुस्से में नहीं बोला, सामने वाला ही गलत था”
3️⃣ बचपन और अनुभव हमारे व्यवहार को बनाते हैं
- बचपन का डर → आत्मविश्वास की कमी
- बार-बार की बेइज्जती → ज्यादा अहंकार
- असफलता → हर चीज़ से डर
📌 इसलिए कई बार हम जरूरत से ज्यादा रिएक्ट करते हैं।
⚠️ चेतावनी
जो व्यक्ति:
- अपनी भावनाओं को नहीं पहचानता
- गुस्से, ईर्ष्या या अहंकार में बह जाता है
👉 वह बार-बार वही गलती दोहराता है।
✅ समाधान: खुद पर नियंत्रण कैसे पाएं?
✔️ 1. भावनात्मक दूरी बनाइए
- गुस्सा आए → तुरंत प्रतिक्रिया न दें
- 10 सेकंड रुकें, गहरी साँस लें
✔️ 2. खुद से सवाल पूछें
- क्या मैं अभी भावनाओं से सोच रहा हूँ?
- 24 घंटे बाद भी क्या यही निर्णय सही लगेगा?
✔️ 3. अपने ट्रिगर पहचानिए
- कौन-सी बात आपको सबसे ज्यादा गुस्सा दिलाती है?
- कौन आपको असुरक्षित महसूस कराता है?
📌 ट्रिगर पहचानना = आधी जीत
✔️ 4. खुद को बाहर से देखना सीखें
- जैसे आप किसी तीसरे व्यक्ति को देख रहे हों
- इससे आप ज्यादा निष्पक्ष निर्णय लेते हैं
🌱 रोज़मर्रा का उदाहरण
👨💼 ऑफिस में बॉस ने डांट दिया
❌ तुरंत जवाब देना → नुकसान
✅ शांत रहना, बाद में समझदारी से बात → सम्मान
🧘 अभ्यास (Daily Practice)
- दिन के अंत में सोचें:
- आज मैं कहाँ भावनाओं में बह गया?
- कल मैं कैसे बेहतर कर सकता हूँ?
🧠 सार
जो व्यक्ति अपनी भावनाओं को समझ लेता है,
वही दूसरों की भावनाओं से प्रभावित नहीं होता।
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