"अपने समस्या को किसी से शेयर नहीं करना चाहिए" एक गहरी सोच को दर्शाता है, लेकिन इस पर विचार करना ज़रूरी है कि हर स्थिति और व्यक्ति के अनुसार यह सही या गलत हो सकता है। आइए इसके दोनों पहलुओं को समझें: ✅ कब नहीं शेयर करना चाहिए: जब सामने वाला विश्वसनीय नहीं है: आपकी बात का मजाक उड़ाया जा सकता है या आपकी कमजोरी का फायदा उठाया जा सकता है। जब व्यक्ति आलोचक है, सहायक नहीं: कुछ लोग मदद करने के बजाय दोष निकालते हैं या आपकी भावनाओं को नकार देते हैं। जब खुद ही समाधान निकाल सकते हैं: कई बार आत्ममंथन और थोड़ी देर शांति में बैठना ही समाधान दे सकता है। समाज में बदनामी का डर: कुछ व्यक्तिगत या पारिवारिक समस्याएं ऐसी होती हैं जिन्हें सार्वजनिक करने से ज्यादा नुकसान हो सकता है। ✅ कब शेयर करना चाहिए: जब मन बहुत भारी हो: “बांटी हुई तकलीफ, आधी हो जाती है।” मानसिक तनाव को किसी अपने से शेयर करने से मन हल्का होता है। जब कोई अनुभवी व्यक्ति मार्गदर्शन दे सकता है: जैसे शिक्षक, काउंसलर, या कोई समझदार दोस्त या परिजन। मानसिक स्वास्थ्य के लिए: डिप्रेशन, चिंता आदि के मा...
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"सोकर टाइम वेस्ट करने से अच्छा है समय का सही उपयोग कर शरीर को तकलीफ देना।" मतलब: इस कथन का अर्थ है कि आलस्य और नींद में समय गंवाने के बजाय उस समय का उपयोग मेहनत करने में करें—even अगर वह मेहनत शरीर को तकलीफ देती हो, जैसे सुबह उठकर व्यायाम करना, कठिन लक्ष्य के लिए तैयारी करना, आदि। क्यों? क्योंकि वर्तमान में जो कष्ट (शारीरिक या मानसिक) हम उठाते हैं, वह भविष्य में सफलता, आत्म-संतोष और आत्म-विश्वास के रूप में लौटता है। इशारा किस ओर है? 👉 यह कथन भविष्य की उस समृद्धि की ओर इशारा करता है जो अनुशासन, संघर्ष और तपस्या से मिलती है। "दूसरे का जीवन मस्त है। पर उसके जीवन में भी कभी उतार-चढ़ाव आया होगा।" मतलब: बाहर से देखने पर किसी का जीवन खुशहाल और आसान लगता है, लेकिन हर किसी के जीवन में कभी ना कभी संघर्ष, कठिनाई, और भावनात्मक उतार-चढ़ाव जरूर रहे होते हैं। सीख: हमें दूसरों की सफलता देखकर निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि उनके पीछे भी एक लंबा संघर्ष छिपा होता है। हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती, और हर मुस्कान के पीछे एक कहानी होती है। इशारा किस ओर है? 👉 तुलना छोड़कर ...
अनहेल्दी फूड (Unhealthy Food), फॉल्स एगो (False Ego), और स्वास्थ्य (Health)
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अनहेल्दी फूड (Unhealthy Food), फॉल्स एगो (False Ego), और स्वास्थ्य (Health) —इन तीनों के बीच एक गहरा मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक संबंध है। आइए इसे बिंदुवार समझते हैं: 🔴 1. False Ego क्या है? False Ego यानी झूठा अभिमान या 'मैं' की वह पहचान जो वास्तव में हमारी नहीं है, लेकिन हम उससे चिपके रहते हैं: "मैं जो चाहता हूँ वही सही है।" "खाने-पीने में कोई मुझे टोक न सके।" "स्वाद ही जिंदगी है।" "मैं खुद को क्यों बदलिए, दुनिया बदले।" 👉 यही false ego हमें सुधार या बदलाव स्वीकार करने से रोकता है — चाहे वह शरीर के लिए कितना भी जरूरी क्यों न हो। 🍟 2. Unhealthy Food और False Ego का संबंध False Ego की सोच उसका असर खाने पर "मैं सब खा सकता हूँ, मुझे कुछ नहीं होता" जंक फूड की लत, बीमारियाँ नजरअंदाज "स्वाद से समझौता नहीं कर सकता" तला-भुना, शुगर, फास्ट फूड की आदत "डॉक्टर की बात नहीं मानूंगा" लाइफस्टाइल डिसऑर्डर बढ़ना "हेल्दी खाना तो बूढ़ों का होता है" पोषणहीनता और इम्यूनिटी म...
एल्कलाइन और एसिडिक फूड
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1. "एल्कलाइन फूड को 80% और एसिडिक फूड को 20% लेना चाहिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए" 👉 यह सिद्धांत शरीर में pH बैलेंस (acid-alkaline संतुलन) बनाए रखने के लिए दिया गया है। हमारे शरीर का pH थोड़ा क्षारीय (alkaline) होना चाहिए — करीब 7.35 से 7.45। 👉 जब हम अधिक अम्लीय (acidic) चीज़ें खाते हैं (जैसे चीनी, मैदा, मांस, फास्ट फूड), तो शरीर में एसिडिटी, सूजन, थकान, मोटापा, और रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए: Alkaline Food – 80% होना चाहिए (शरीर को क्षारीय बनाए रखने के लिए) Acidic Food – 20% तक सीमित रखना चाहिए (एसिड लोड को कम करने के लिए) 2. Acidic Food जब हम कुछ विशेष खाद्य पदार्थ खाते हैं, तो शरीर उन्हें पचाने के बाद एसिड पैदा करता है। यह एसिड रक्त, कोशिकाओं, और अंगों में pH असंतुलन ला सकता है। अम्लता से क्या समस्याएं हो सकती हैं: पेट में गैस, एसिडिटी जोड़ों का दर्द ऊर्जा की कमी हड्डियों से कैल्शियम बाहर निकलना (osteoporosis) वजन बढ़ना, थायराइड, और डायबिटीज़ 3. Acidic Food किसमें पाया जाता है और कितना लेना चाहिए? 🍕🍖 Acidic Foods की सूची: प्रकार ...
माइंडसेट का शरीर और स्वास्थ्य पर प्रभाव
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"माइंडसेट का शरीर और स्वास्थ्य पर प्रभाव " माइंडसेट यानी हमारा सोचने का तरीका, हमारी मानसिकता — यह हमारे शरीर, स्वास्थ्य, आदतें और जीवनशैली को बहुत गहराई से प्रभावित करता है। 🔷 1. तनाव और बीमारी का संबंध (Stress & Disease Link) नकारात्मक माइंडसेट जैसे चिंता, डर, असुरक्षा या निराशा लगातार रहने से कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन बढ़ते हैं। यह शरीर में इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है और ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, मोटापा जैसी बीमारियों को जन्म देता है। 👉 उदाहरण: अगर किसी को हर समय डर और चिंता बनी रहती है, तो उसके सिरदर्द, अपच, नींद की कमी और इम्युनिटी कम होना आम हो जाता है। 🔷 2. खानपान और व्यायाम पर प्रभाव एक सकारात्मक माइंडसेट वाला व्यक्ति अपने शरीर की देखभाल करने के लिए प्रेरित रहता है — वह संतुलित आहार खाता है , नियमित वर्कआउट करता है और धूम्रपान या शराब से दूर रहता है। जबकि नकारात्मक माइंडसेट वाला व्यक्ति अक्सर भावनात्मक भोजन करता है (जैसे गुस्से में मीठा खाना, उदासी में ओवरईटिंग)। 🔷 3. स्वस्थ आदतें अपनाने की शक्ति माइंडसेट यह तय करता है कि आप ब...
मस्तिष्क, आदतें और हमारे वातावरण का गहरा रिश्ता
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हर इंसान जानता है कि अच्छा खाना कौन सा है और बुरा कौन सा। यह भी पता होता है कि कौन सी आदतें शरीर को नुकसान पहुंचा रही हैं। फिर भी ज़्यादातर लोग इन्हें छोड़ नहीं पाते। क्यों? इस अध्याय में हम जानेंगे कि हमारे ब्रेन की संरचना, भावनाएं, आदतें और हमारा पर्यावरण हमारे निर्णयों को कैसे प्रभावित करते हैं। 1. जानकारी और व्यवहार में फर्क क्यों होता है? हमारे मस्तिष्क के दो भाग होते हैं: Conscious Mind : जो तर्क करता है, निर्णय लेता है। Subconscious Mind : जहां आदतें, भावनाएं और स्मृतियाँ रहती हैं। आप जानते हैं कि जंक फूड खराब है (Conscious Knowledge), लेकिन जब मन उदास होता है, तो Subconscious Mind आपको वही खाने की ओर ले जाता है। इसलिए केवल जानकारी पर्याप्त नहीं होती, आदतों और भावनाओं को भी समझना होता है। 2. ब्रेन कम्फर्ट ढूंढता है, हेल्थ नहीं हमारा दिमाग "प्लेज़र" का पीछा करता है। फास्ट फूड, चीनी, सोशल मीडिया, या टीवी तुरंत Dopamine (प्लेज़र हार्मोन) रिलीज़ करते हैं, जिससे हमें अच्छा लगता है। इसलिए, भले ही हम जानते हैं कि वो चीज़ें गलत हैं, फिर भी उन्हें छोड़ना कठिन होता ...
लिवर हेल्थ से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सुझाव
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प्रश्न: लिवर हेल्थ का क्या अर्थ होता है और यह हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य में क्या भूमिका निभाता है? उत्तर: लिवर हेल्थ का अर्थ है — यकृत (लिवर) का स्वस्थ, सक्रिय और अपने सभी कार्यों को सही ढंग से करना। लिवर शरीर का सबसे बड़ा आंतरिक अंग है, जो 500 से अधिक जैविक कार्यों को करता है। इसमें प्रमुख हैं: खून को शुद्ध करना हानिकारक विषैले पदार्थों को बाहर निकालना पाचन में मदद करना (बाइल बनाना) ऊर्जा संग्रह करना शरीर में प्रोटीन और हार्मोन का निर्माण करना यदि लिवर सही तरीके से काम नहीं कर रहा है, तो संपूर्ण स्वास्थ्य प्रभावित होता है — जैसे थकावट, पेट की समस्याएं, हॉर्मोनल असंतुलन, त्वचा रोग, और प्रतिरोधक क्षमता में कमी। प्रश्न: लिवर हमारे शरीर में कौन-कौन से प्रमुख कार्य करता है? उत्तर: लिवर का कार्य अत्यंत व्यापक और आवश्यक है: डिटॉक्सीफिकेशन: खून से विषैले तत्वों को छानना पाचन में मदद: पित्त (बाइल) बनाना, जो फैट पचाने में मदद करता है ग्लूकोज का नियंत्रण: एक्स्ट्रा शुगर को ग्लाइकोजन के रूप में स्टोर करना प्लाज़्मा प्रोटीन निर्माण: जैसे एल्ब्यूमिन विटामिन और मिनरल सं...